राजस्थान | 24-12-2025 :फिलहाल पूरे देश में एक गंभीर और चिंताजनक विषय पर चर्चा हो रही है। वर्ष 2015 की UPSC परीक्षा में देश में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली राजस्थान की जिला कलेक्टर साहिबा IAS अधिकारी टीना डाबी के खिलाफ चलाया जा रहा जहरीला प्रचार और बदनामी अभियान।टीना डाबी दलित (SC) पृष्ठभूमि से आने वाली अधिकारी हैं। उनकी सफलता के बाद से ही वे लगातार ट्रोलिंग, आलोचना और बदनामी का सामना कर रही हैं। हाल ही में राजस्थान के बाड़मेर में हुए छात्र आंदोलन से जुड़ा विवाद एक बार फिर इस मुद्दे को केंद्र में ले आया है।
राजस्थान जिला कलेक्टर टीना डाबी से जुड़े इस प्रकरण की घटनाओं को समझना अत्यंत आवश्यक है।
22 दिसंबर 2025 को बाड़मेर स्थित महाराणा भूपाल कॉलेज
अर्थात मुल्तानमल भीखचंद छाजेड महिला महाविद्यालय में परीक्षा शुल्क में तीन गुना वृद्धि के विरोध में छात्रों ने आंदोलन शुरू किया।
यह शुल्क वृद्धि राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा की गई थी। छात्रों की मांग स्पष्ट थी — बढ़ा हुआ शुल्क वापस लिया जाए।
इस आंदोलन में शामिल छात्र मुख्य रूप से ABVP,जो कि RSS से संबंधित छात्र संगठन है, से जुड़े हुए थे।
आंदोलन के दौरान छात्रों ने जिला कलेक्टर टीना डाबी से मिलने की मांग की।
उस समय मौजूद एक अधिकारी ने चर्चा के दौरान कहा कि “टीना डाबी आप लोगों के लिए रोल मॉडल हैं”।
इस पर एक छात्र नेता ने जवाब दिया,
“वह रोल मॉडल नहीं हैं, वह रील स्टार हैं।”
यह टिप्पणी उनकी सोशल मीडिया सक्रियता को लेकर थी, जहां वे प्रेरणादायक वीडियो साझा करती हैं।
वास्तव में इस पूरी घटना की जानकारी टीना डाबी को नहीं थी। पुलिस ने स्वयं ही कार्रवाई की थी।
लेकिन कार्रवाई क्यों हुई, यह आगे पढ़ें।
इस घटना के बाद पुलिस ने चार छात्र नेताओं को हिरासत में लिया।
छात्रों का आरोप था कि “रील स्टार” शब्द का इस्तेमाल करने के कारण ही यह कार्रवाई हुई।
पुलिस का बयान
पुलिस का कहना था कि छात्रों ने सड़क जाम की थी और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कार्रवाई की गई।
किसी भी अपमानजनक बयान के कारण गिरफ्तारी नहीं की गई थी।
हालांकि इस घटना का राजनीतिक और जातीय लाभ उठाने के उद्देश्य से बाद में महिला छात्रों ने कोतवाली थाने में धरना प्रदर्शन किया।
स्थिति गंभीर होती देख बाड़मेर के पुलिस अधीक्षक स्वयं मौके पर पहुंचे।
पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई को गलत मानते हुए बिना किसी FIR दर्ज किए छात्रों को रिहा कर दिया।
इस प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए टीना डाबी ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मुद्दे को जानबूझकर उछाल कर वायरल किया गया।
उन्होंने कहा कि उन्होंने छात्रों की मांगें सुनी हैं और शुल्क वृद्धि के मुद्दे को सुलझाने के प्रयास जारी हैं।
ये सभी तथ्य विश्वसनीय राष्ट्रीय समाचार स्रोतों में भी प्रकाशित हुए हैं।
किसी भी मीडिया रिपोर्ट में कहीं भी छात्रों के अपमान, नागरिकों पर अन्याय या बदले की भावना से की गई कार्रवाई का आरोप सिद्ध नहीं होता।
फिर भी सोशल मीडिया और कुछ माध्यमों में यह मामला “टीना डाबी ने छात्रों को गिरफ्तार करवाया” इस तरह के गलत नैरेटिव के रूप में फैलाया जा रहा है।
इस बदनामी के पीछे एक गंभीर सामाजिक मुद्दा छिपा हुआ है।
मनुवादी विचारधारा दलित महिलाओं को सत्ता में देख नहीं सकती
राजस्थान जिला कलेक्टर टीना डाबी दलित समाज से आने वाली महिला अधिकारी हैं। UPSC में टॉप करने के बाद भी उन्हें
“आरक्षण के कारण सफलता” मिलने जैसे आरोपों का सामना करना पड़ा।
बाद में एक मुस्लिम IAS अधिकारी से विवाह करने के कारण इस्लामोफोबिक और जातिवादी ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा।
अब सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने के कारण उन्हें “रील स्टार” कहकर नीचा दिखाया जा रहा है।
वास्तव में यह विरोध उनके काम के खिलाफ नहीं,बल्कि उनकी सामाजिक पहचान के खिलाफ है,यह साफ दिखाई देता है।
ऑनलाइन चर्चाओं में आरोप लगाए जा रहे हैं कि इस आंदोलन का उपयोग टीना डाबी की छवि खराब करने के लिए किया जा रहा है,
ताकि उनकी जगह किसी उच्च जाति के अधिकारी को नियुक्त किया जा सके।
कुछ पोस्ट्स में व्यंग्यात्मक ढंग से पूछा जा रहा है,
“दलित IAS अधिकारी की आलोचना करने की हिम्मत कैसे हुई?”
यह वाक्य मजाक लग सकता है, लेकिन इसके पीछे की मानसिकता बेहद गंभीर है।
मनुवादी सोच दलित महिलाओं को सत्ता में स्वीकार नहीं कर सकती। उनके काम को नजरअंदाज कर उनके व्यक्तित्व,
आचरण और पहचान पर हमला किया जाता है।
इस मामले में मीडिया की भूमिका भी सवालों के घेरे में है
कुछ न्यूज़ चैनलों ने इस मामले को “IAS अधिकारी का अपमान” या “छात्रों पर दमन” जैसे भड़काऊ रूप में दिखाया।
जबकि मूल मुद्दा — परीक्षा शुल्क वृद्धि, छात्रों की मांगें और प्रशासन की भूमिका — को गौण बना दिया गया।
बल्कि कई मामलों में दबा दिया गया।
राजस्थान जिला कलेक्टर टीना डाबी दलित अधिकारी होने के कारण यह तस्वीर बनाई जा रही है कि
“अधिकारी नागरिकों को परेशान करते हैं”, जो वास्तविकता से मेल नहीं खाती।
मनुवादी समूह वे तत्व हैं जो जाति व्यवस्था को बनाए रखना चाहते हैं और उच्च जातीय वर्चस्व को कायम रखना चाहते हैं।
ऐसी मानसिकता वाले लोग दलित महिलाओं को प्रशासनिक सत्ता में देखकर असहज हो जाते हैं
— चाहे वे मीडिया के संपादक ही क्यों न हों।
सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे ट्रोलिंग वीडियो, आलोचनात्मक पोस्ट
और अफवाहें एक संगठित ट्रोल आर्मी का हिस्सा प्रतीत होती हैं।
इस प्रकरण में कुछ राजनीतिक व्यक्तियों की प्रतिक्रियाएं भी चर्चा में हैं। उनके पोस्ट्स में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भले ही हों,
लेकिन उसका सीधा नुकसान एक दलित महिला अधिकारी को हो रहा है।
तहसीन पूनावाला भाजपा के नेता हैं। उन्होंने तो टीना डाबी को ही दोषी ठहराते हुए उनसे माफी मांगने की मांग की है।
The BJP government in Rajasthan is allowing IAS Tina Dabi to humiliate the citizens of India & the very same people who voted them. The Chief Minister must immediately have his office step in & have her shunted after she apologizes to We The People .
— Tehseen Poonawalla Official 🇮🇳 (@tehseenp) December 22, 2025
Side note: kick out 50% IAS https://t.co/FcogNrb3fg
इससे समाज में जातीय द्वेष, अविश्वास और विष फैलाया जा रहा है। बिना किसी कारण के आरक्षण का मुद्दा भी इसमें घसीटा गया।
अनुराधा तिवारी नामक महिला अक्सर आरक्षण विरोधी ट्वीट करती दिखाई देती हैं, इस बार भी उन्होंने बिना कारण आरक्षण का मुद्दा उठाया।
> Use Reservation
— Anuradha Tiwari (@talk2anuradha) December 23, 2025
> Become IAS
> Support social justice
> Promote Ambedkar’s Equality ideas
> Make reels instead of actual work
> Get called reel star by students
> Get them arrested
Imagine someone who flaunted Ambedkar’s photo at her wedding mocking Constitution so openly. pic.twitter.com/W6k80UQ0K7
राजस्थान जिला कलेक्टर टीना डाबी दलित होकर भी सम्मान पा रही है यही जातिवादीयों के पेट का दर्द
इस पूरी पृष्ठभूमि में एक सवाल खड़ा होता है —
क्या दलित महिला अधिकारी का सत्ता में होना आज भी कुछ लोगों को असहनीय लगता है?
हाल ही में टीना डाबी को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार मिला था।
बाड़मेर की जिला कलेक्टर टीना डाबी के जल संरक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण उपक्रम के लिए
राष्ट्रपति द्वारा दो करोड़ रुपये का राष्ट्रीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था।
इससे जातिवादी समाज का बौखलाना स्वाभाविक है।
जो अधिकारी खुद लोगों की प्यास बुझाने का काम कर रही हैं,
उन्हें भी केवल अलग जाति की होने के कारण मनुवादी ताकतें परेशान कर रही हैं।
राजस्थान में टीना डाबी के काम, विकास, उनकी प्रशासनिक भूमिका और फैसलों पर चर्चा होनी चाहिए।
जाति, पहचान और निजी जीवन के आधार पर ट्रोलिंग बंद होनी चाहिए।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन उसका उपयोग जातीय घृणा फैलाने के लिए नहीं होना चाहिए।
मीडिया को जिम्मेदारी से पेश आने की जरूरत है। समाज को जागने की जरूरत है।
दलित महिला अधिकारियों को निर्भय होकर काम करने दीजिए। उनके काम को देखिए।
जातीय चश्मे से मत देखिए।इससे आपकी ही जातिवादी मानसिकता उजागर होती है।
आवाज़ उठाइए। यह मुद्दा केवल एक अधिकारी का नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का है।
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First Published by Team Jaaglya Bharat on DEC 24,2025 | 18:56 PM
WebTitle – Tina Dabi rajasthan student arrest Controversy























































